भाई,बहन और रक्षाबंधन

रिश्तों की अहमियत हमारे जीवन में अहम होती है। रिश्ते हमें जोड़कर रखते हैं, बिखरने नहीं देते। जिंदगी का सबसे अनमोल रिश्ता है भाई-बहन का रिश्ता। रक्षाबंधन साल में एक बार आता है जब बहन अपने भाई की कलाई पर राखी का बंधन बांधती है। यह बंधन मामूली नहीं होता। यह विश्वास होता है एक बहन का अपने भाई पर कि वह उसकी रक्षा करेगा, उसका हर पल साथ निभायेगा और उससे इसी तरह असीम प्यार करता रहेगा। उसी तरह बहन भी अपने अटूट रिश्ते को निभाने का संकल्प लेती है।

मेरी कोई सगी बहन नहीं, लेकिन रक्षाबंधन के दिन मेरी कलाई भर जाती है। मुझे तब बहुत अच्छा लगता है जब मेरी कलाई पर राखी बांधी जाती है। मुझे तब महसूस होता है -‘काश मेरी भी बहन होती।’ दूसरे पल उन बहनों को देखकर खुशी होती है जिनसे खूनी रिश्ता न होने के बाद भी वे मुझे इतना प्यार करती हैं और मेरी कलाई पर राखी बांध देती हैं।

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बहन होती ही ऐसी है। वह हर भाई के लिए उतनी ही प्यारी है जितना कि एक बहन के लिए भाई। गजरौला की मानवती को कौन भूल सकता है। उसने फर्ज निभाया है जो आजतक शायद किसी बहन ने निभाया हो। अपने भाई की रक्षा के लिए उसने जान तक की परवाह नहीं की। अपने मरते भाई को लीवर देकर वह इस दुनिया से चल बसी। उसने सचमुच भाई के लिए जिंदगी की राखी बांध दी।

-हरमिन्दर सिंह चाहल.

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