बुढ़ापा : बंदोबस्त जवानी में

बुढ़ापे से घबराहट कैसी। उसे आनेे दो। हमारे न चाहतेे हुये भी वह आयेगा। उसका भी अपना संगीत है। लय है, ताल है। वह अटल है। सच है। उसकी कल्पना न भी करो तो भी उसका आगमन निश्चिच है। 

बहुत से लोग बुढ़ापे को बुरा कहते हैं। इनसे कोई पूछे कि ये क्या जवान ही उम्र जी लेंगे। कई लोग समय से पहले बूढ़े हो जाते हैं। उन्हें बुढ़ापा आने से पहले ही डराता है। वे अवसाद में जाने को तैयार रहते हैं।

जो होना है उससे न कोई भय, न घबराहट। सोचना यह चाहिये कि बुढ़ापा किस तरह जिया जाये। अपने पास इतनी जमा पूंजी भी रखी जानी चाहिये जो बाद के दिनों में मददगार हो। आजकल अपने भी पराये होने में देर नहीं लगाते। इसलिये बुढ़ापे का बंदोबस्त जवानी से ही किया जाये तो बेहतर है। 

अपनी सेहत का ख्याल अभी से रखना शुरू कीजिये क्योंकि 50 या 60 साल के बाद शरीर यदि जबाव दे गया तो समझिये आप वहीं टिक गये। फिर उबरने के बहुत कम चांस हैं या न के बराबर।

अभी देर नहीं हुई। सब सही चल रहा है। सही चलता रहे इसके लिये तैयारी कर लीजिये। स्थितियां कब हमारे अनुकूल हो जायें,  कब उलट कुछ पता नहीं। 

लेकिन सबसे बड़ी बात : मुस्कराते रहिये। बुढ़ापा आयेगा भी तो क्या बिगाड़ लेगा!

-हरमिन्दर सिंह चाहल

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