प्रेम कितना मीठा है





‘प्यार तो बहुत लोग करते हैं, लेकिन कुछ लोग शायद दूसरों को इस कदर चाहते हैं कि प्यार भी छोटा पड़ जाए। और यह सब इतना अचानक हो जाता है कि पता ही नहीं चलता। हमें पता नहीं चलता कि हमारे लिए कब वे खास हो गए। और इतना खास कि हम उन्हें कई जन्मों तक भी न भलें। वाकई कितना अजीब है प्रेम।’’

बूढ़ी काकी की आंखें इतना कहकर भर आयी थीं, पर वह मुस्करा रही थी। बूंदें खुशी की थीं। बुढ़ापा करुणा से भर उठा था। नीर आंखों में बहकर शुष्क, झुर्रिदार दरारों को गीला करने की कोशिश में जस्बे के साथ ऐसी यात्रा पर निकले थे जिसकी शुरुआत हुई थी, लेकिन अंत का फैसला भाग्य पर टिका था।

काकी ने बताया कि उसे किसी से प्रेम हो गया था। वह भी किसी के सपनों में खोई थी कभी। उसके जीवन में भी वह समय आया था जब उसकी नींदें करवट लेते गुजरीं। उसने जाना कि प्रेम कितना मीठा होता है। काकी को अहसास हो गया था कि तब जीवन कितना मीठा होता है। वह मानो जीवन की मिठास में कहीं खो गयी थी। डूब गयी थी एक नारी किसी के प्रेम में। उसकी सखियों ने उसे ‘पगली’ कहना शुरु कर दिया था।

काकी ने अपनी कांपती अंगुलियों से आंखों को हल्का मला, कुछ धुंध छंटती हुई उसने महसूस की।

वह बोली,‘‘बूंदों का क्या, उनका काम तो गिरना है। प्रेम कितना अनोखा है। निरंतर बहता है, सिर्फ बहता है। उसकी महक जीवन को आनंदित करती है। ऐसा लगता है जीवन उल्लास से भर गया है। पता नहीं हवा कैसी चलने लगती है। झोंके रंगीन लगते हैं। मिजाज बदल जाता है। फूलों से बातें करने का मन करता है।’’

मैंने कहा,‘‘यह अद्भुत है। जीवन अद्भुत है। प्रेम जीवन में उपजता है। और जीवन प्रेम से उपजता है। प्यार जीवन से लगाव करना सिखाता है। इंसान को इंसान से जुड़ना सिखाता है। दिल को दिल से मिलाता है। बहुत विशाल, सीमा का जिसकी अंत नहीं।’’

काकी ने मुझसे कहा,‘‘ऐसा लगता है तुमने भी किसी से प्रेम किया है। यह वास्तविकता है कि ऐसी बातें तभी उचरती हैं। सूखी डाली की हरियाली को कभी देखा है? सूखने पर डाली नीरस हो जाती है। प्रेम के स्पर्श से उसमें भी कोंपलें सूखी डाली की हरियाली को कभी देखा है? सूखने पर डाली नीरस हो जाती है। प्रेम के स्पर्श से उसमें भी कोंपलें फूट पड़ती हैं। किसी को चाह कर देखो तो असलियत जान जाओगे।’’

मैंने जाना कि प्रेम बिना जीवन अधूरा है। दूसरों की चाह हमें जीने की चाह जगाती है। नई आशा के साथ हम जीते हैं, लेकिन जीवन से प्यार कर बैठते हैं, शायद पहले से अधिक।

-harminder singh